सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Featured Post

Ganapathi Sahastranama Stotram in Hindi – श्री गणपति सहस्रनाम स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित

  Ganapathi Sahastranama Stotram in Hindi – श्री गणपति सहस्रनाम स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित     व्यास उवाच अर्थ:- व्यास जी बोले, हे! लोकानुग्रह में तत्पर ब्रह्माजी गणेश ने अपने कल्याणकारी सहस्त्र नामो का उपदेश कैसे दिया वह मुझे बतलाइये| कथं नाम्नां सहस्रं स्वं गणेश उपदिष्टवान् । शिवाय तन्ममाचक्ष्व लोकानुग्रहतत्पर ॥ १ ॥ ब्रह्मोवाच : देवदेवः पुरारातिः पुरत्रयजयोद्यमे । अनर्चनाद्गणेशस्य जातो विघ्नाकुलः किल ॥ २ ॥ मनसा स विनिर्धार्य ततस्तद्विघ्नकारणम् । महागणपतिं भक्त्या समभ्यर्च्य यथाविधि ॥ ३ ॥ विघ्नप्रशमनोपायमपृच्छदपराजितः । सन्तुष्टः पूजया शम्भोर्महागणपतिः स्वयम् ॥ ४ ॥ सर्वविघ्नैकहरणं सर्वकामफलप्रदम् । ततस्तस्मै स्वकं नाम्नां सहस्रमिदमब्रवीत् ॥ ५ ॥ अर्थ:- ब्रह्मा जी बोले, पूर्व काल में त्रिपुरारी शिव ने त्रिपुरासुर तथा उसके तीनों पूरो पर युद्ध में विजय के उद्यत होने पर गणेश जी की पूजा नही की थी | अतः वे विघ्नों से व्याकुल हुए थे अतः उन्होंने अपने मन से उस विघ्न के कारण का निर्धारण करके महागणपति का भक्तिपूर्वक यथाविधि पूजन करके उनसे अपनी पराजय होने पर विघ्

हनुमान चालीसा तुलसीदास द्वारा रचित हिंदी अर्थ सहित Hanuman Chalisa Hindi


हनुमान चालीसा तुलसीदास द्वारा रचित हिंदी अर्थ सहित Hanuman Chalisa Hindi 

 

हनुमान चालीसा के रचयिता महाकवि तुलसीदास जी है| इसकी रचना अवधी-हिंदी भाषा में की गया है| इसमें हनुमान जी के द्वारा किये गये विभिन्न कार्यो का गुणगान किया गया है| इसके 40 श्लोक होने की वजहसे इसको चालीसा कहा जाता है|

हनुमानजी जो भगवान शिव के अवतार है उनको 7 चिरन्जिवियो में से एक माना जाता है| हनुमान चालीसा एक बहुत ही शक्तिशाली मंत्र है जिसका नियमित जाप करने से भक्तो को भय से मुक्ति, साहस, क्लेशो से मुक्ति और सभी मनोकामनाए पूरी होती है|

|| दोहा ||

श्री गुरु चरण सरोज रज, निज मन मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुवर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरो पवन-कुमार।
बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार ।।

 

अर्थ- श्री गुरु महाराज के चरण कमलों की धूलि से अपने मन रूपी दर्पण को पवित्र करके श्री रघुवीर के निर्मल यश का वर्णन करता हूं, जो चारों फल (धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष) को देने वाला है। हे पवन कुमार! मैं आपको सुमिरन करता हूं। आप तो जानते ही हैं कि मेरा शरीर और बुद्धि निर्बल है। मुझे शारीरिक बल, सदबुद्धि एवं ज्ञान दीजिए और मेरे दुखों व दोषों का नाश कर दीजिए।

 Hanuman Chalisa Hindi

जय हनुमान ज्ञान गुण सागर।जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।

राम दूत अतुलित बलधामा। अंजनी पुत्र पवन सुत नामा।।

महावीर विक्रम बजरंगी। कुमति निवार सुमति के संगी।।

कंचन बरन बिराज सुबेसा। कानन कुण्डल कुंचित केसा।।

अर्थश्री हनुमान जी! आपकी जय हो। आपका ज्ञान और गुण अथाह है। हे कपीश्वर! आपकी जय हो! तीनों लोकों, स्वर्ग लोक, भूलोक और पाताल लोक में आपकी कीर्ति है। हे पवनसुत अंजनी नंदन! रामदूत आपके समान दूसरा बलवान नहीं हैं। हे महावीर बजरंग बली!आप विशेष पराक्रम वाले हैं। आप खराब बुद्धि को दूर करते हैं, और अच्छी बुद्धि वालों के साथी, सहायक हैं।आप सुनहले रंग, सुन्दर वस्त्रों, कानों में कुण्डल और घुंघराले बालों से सुशोभित हैं।

 

हाथबज्र और ध्वजा विराजे। कांधे मूंज जनेऊ साजै॥

शंकर सुवन केसरी नंदन। तेज प्रताप महा जग वंदन।।

विद्यावान गुणी अति चातुर। राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया। राम लखन सीता मन बसिया।।

अर्थआपके हाथ में बज्र और ध्वजा है और कन्धे पर मूंज के जनेऊ की शोभा है। शंकर के अवतार! हे केसरी नंदन आपके पराक्रम और महान यश की संसार भर में वन्दना होती है। आप प्रकान्ड विद्या निधान हैं, गुणवान और अत्यन्त कार्य कुशल होकर श्री राम के काज करने के लिए आतुर रहते हैं। आप श्री राम चरित सुनने में आनन्द रस लेते हैं। श्री राम, सीता और लखन आपके हृदय में बसे रहते हैं।

 

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा। बिकट रूप धरि लंक जरावा।।

भीम रूप धरि असुर संहारे। रामचन्द्र के काज संवारे।।

लाय सजीवन लखन जियाये। श्री रघुवीर हरषि उर लाये।।

रघुपति कीन्हीं बहुत बड़ाई। तुम मम प्रिय भरत सम भाई।।

अर्थआपने अपना बहुत छोटा रूप धारण करके सीता जी को दिखलाया और भयंकर रूप करके लंका को जलाया। आपने विकराल रूप धारण करके राक्षसों को मारा और श्री रामचन्द्र जी के उद्देंश्यों को सफल कराया। आपने संजीवनी बूटी लाकर लक्ष्मण जी को जिलाया जिससे श्री रघुवीर ने हर्षित होकर आपको हृदय से लगा लिया। श्री रामचन्द्र ने आपकी बहुत प्रशंसा की और कहा कि तुम मेरे भरत जैसे प्यारे भाई हो।

 

सहस बदन तुम्हरो जस गावैं। अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद, सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते। कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।

तुम उपकार सुग्रीवहि कीन्हा। राम मिलाय राजपद दीन्हा।।

अर्थश्री राम ने आपको यह कहकर हृदय से लगा लिया कि तुम्हारा यश हजार मुख से सराहनीय है। श्री सनक, श्री सनातन, श्री सनन्दन, श्री सनत्कुमार आदि मुनि ब्रह्मा आदि देवता नारद जी, सरस्वती जी, शेषनाग जी सब आपका गुण गान करते हैं। यमराज, कुबेर आदि सब दिशाओं के रक्षक, कवि विद्वान, पंडित या कोई भी आपके यश का पूर्णतः वर्णन नहीं कर सकते। आपने सुग्रीव जी को श्रीराम से मिलाकर उपकार किया, जिसके कारण वे राजा बने।

 

तुम्हरो मंत्र विभीषण माना। लंकेश्वर भए सब जग जाना।।

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू। लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।

प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहि। जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।

दुर्गम काज जगत के जेते। सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।

अर्थआपके उपदेश का विभिषण जी ने पालन किया जिससे वे लंका के राजा बने, इसको सब संसार जानता है। जो सूर्य इतने योजन दूरी पर है कि उस पर पहुंचने के लिए हजार युग लगे। दो हजार योजन की दूरी पर स्थित सूर्य को आपने एक मीठा फल समझकर निगल लिया। आपने श्री रामचन्द्र जी की अंगूठी मुंह में रखकर समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई आश्चर्य नहीं है। संसार में जितने भी कठिन से कठिन काम हो, वो आपकी कृपा से सहज हो जाते है।

 

राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पेसा रे॥

सब सुख लहै तुम्हारी शरणा। तुम रक्षक काहू को डरना॥

आपन तेज सम्भारो आपै। तीनों लोक हांक तें कांपै॥

भूत पिशाच निकट नहिं आवै। महावीर जब नाम सुनावै॥

अर्थश्री रामचन्द्र जी के द्वार के आप रखवाले हैं, जिसमें आपकी आज्ञा बिना किसी को प्रवेश नहीं मिलता अर्थात् आपकी प्रसन्नता के बिना राम कृपा दुर्लभ है। जो भी आपकी शरण में आते हैं, उस सभी को आनन्द प्राप्त होता है, और जब आप रक्षक हैं, तो फिर किसी का डर नहीं रहता। आपके सिवाय आपके वेग को कोई नहीं रोक सकता, आपकी गर्जना से तीनों लोक कांप जाते हैं। जहां महावीर हनुमान जी का नाम सुनाया जाता है, वहां भूत, पिशाच पास भी नहीं फटक सकते।

 

नासै रोग हरै सब पीरा। जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै। मन क्रम बचन ध्यान जो लावै॥

सब पर राम तपस्वी राजा। तिनके काज सकल तुम साजा॥

और मनोरथ जो कोइ लावै। सोई अमित जीवन फल पावै॥

अर्थवीर हनुमान जी! आपका निरंतर जप करने से सब रोग चले जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती है।  हे हनुमान जी! विचार करने में, कर्म करने में और बोलने में, जिनका ध्यान आपमें रहता है, उनको सब संकटों से आप छुड़ाते हैं। तपस्वी राजा श्री रामचन्द्र जी सबसे श्रेष्ठ हैं, उनके सब कार्यों को आपने सहज में कर दिया। जिस पर आपकी कृपा हो, वह कोई भी अभिलाषा करें तो उसे ऐसा फल मिलता है जिसकी जीवन में कोई सीमा नहीं होती।

 

चारों जुग परताप तुम्हारा। है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु सन्त के तुम रखवारे। असुर निकंदन राम दुलारे॥

अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता। अस बर दीन जानकी माता॥

राम रसायन तुम्हरे पासा| सदा रहो रघुपति के दासा॥

अर्थचारो युगों सतयुग, त्रेता, द्वापर तथा कलियुग में आपका यश फैला हुआ है, जगत में आपकी कीर्ति सर्वत्र प्रकाशमान है। हे श्री राम के दुलारे! आप सज्जनों की रक्षा करते है और दुष्टों का नाश करते है। आपको माता श्री जानकी से ऐसा वरदान मिला हुआ है, जिससे आप किसी को भी आठों सिद्धियां और नौ निधियां दे सकते है। आप निरंतर श्री रघुनाथ जी की शरण में रहते हैं, जिससे आपके पास बुढ़ापा और असाध्य रोगों के नाश के लिए राम नाम औषधि है।

 

तुम्हरे भजन राम को पावै| जनम जनम के दुख बिसरावै॥

अन्त काल रघुबर पुर जाई| जहां जन्म हरि भक्त कहाई॥

और देवता चित न धरई| हनुमत सेई सर्व सुख करई॥

संकट कटै मिटै सब पीरा| जो सुमिरै हनुमत बलबीरा॥

अर्थआपका भजन करने से श्री राम जी प्राप्त होते हैं और जन्म जन्मांतर के दुख दूर होते हैं। अंत समय श्री रघुनाथ जी के धाम को जाते हैं और यदि फिर भी जन्म लेंगे तो भक्ति करेंगे और श्री राम भक्त कहलाएंगे। हे हनुमान जी! आपकी सेवा करने से सब प्रकार के सुख मिलते हैं, फिर अन्य किसी देवता की आवश्यकता नहीं रहती| हे वीर हनुमान जी! जो आपका सुमिरन करता रहता है, उसके सब संकट कट जाते हैं और सब पीड़ा मिट जाती हैं।

 

जय जय जय हनुमान गोसाईं| कृपा करहु गुरु देव की नाई॥

जो सत बार पाठ कर कोई| छूटहि बंदि महा सुख होई॥

जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा| होय सिद्धि साखी गौरीसा॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा| कीजै नाथ हृदय मंह डेरा॥

अर्थहे स्वामी हनुमान जी! आपकी जय हो, जय हो, जय हो! आप मुझ पर कृपालु श्री गुरु जी के समान कृपा कीजिए। जो कोई इस हनुमान चालीसा का सौ बार पाठ करेगा वह सब बंधनों से छूट जाएगा और उसे परमानन्द मिलेगा। भगवान शंकर ने यह हनुमान चालीसा लिखवाया, इसलिए वे साक्षी हैं, जो इसे पढ़ेगा उसे निश्चय ही सफलता प्राप्त होगी। हे नाथ हनुमान जी ! तुलसीदास सदा ही श्री राम का दास है। इसलिए आप उसके हृदय में निवास कीजिए।

।। दोहा ।।

पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप। राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सूरभूप॥

अर्थहे संकट मोचन पवन कुमार! आप आनंद मंगलों के स्वरूप हैं। हे देवराज! आप श्री राम, सीता जी और लक्ष्मण सहित मेरे हृदय में निवास कीजिए।

 


टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

कनक धारा स्तोत्र हिंदी अर्थ के साथ और इसके लाभ / Kanakdhara Stotr ( Ma Lakshmi)

कनक धारा स्तोत्र हिंदी अर्थ के साथ और इसके लाभ     कनकधारा स्तोत्र की रचना आदि गुरु शंकराचार्य ने की थी जब वो एक दरिद्र ब्राह्मण के घर पर भिक्षा लेने के लिए गये हुए थे | जब उस दरिद्र ब्राह्मण औरत के घर पर भिक्षा में देने क लिए कुछ नही होता तो वह संकोच वश उनको कुछ सूखे आवले देती है | उस औरत की ऐसी स्थिति में भी भिक्षुक को खाली हाथ ना जाने देने की भावना से प्रसन्न होकर शंकराचार्य जी ने कनकधारा स्तोत्र की रचना की| कनक का मतलब होता है सोना और धारा मतलब लगातार प्रवाह इसका मतलब होता है लक्ष्मी का लगातार प्रवाह | ऐसा कहा जाता है कि इस स्तोत्र का पाठ उस दरिद्र औरत के घर पर होने से उसके घर पर सोने के आवलो की वर्षा होने लगी थी | ALSO READ:-  Aditya hridyam stotr/ Surya Dev Mantra ALSO READ:-  Gajendra Moksh Path/ Lord Vishnu Mantra कनकधारा स्तोत्र के पाठ के शुभ फल:- जैसे की इसके नाम से ही स्पष्ट है कि इस स्तोत्र का जाप करने से मा लक्ष्मी की भक्तो पर असीम कृपा होती है | उनके घर पर धन का निरंतर आगमन होता रहता है|     इस पाठ का जाप शुक्रवार , पूर्णिमा, धनतेरस और दीपावली पर वि

महिषासुरमर्दिनी श्लोक हिंदी अर्थ सहित / अयि गिरी नन्दिनी / Aigiri Nandini, MA DURGA

महिषासुरमर्दिनी श्लोक हिंदी अर्थ सहित और इसके वाचन के लाभ       महिषासुर मर्दिनी श्लोक देवी पार्वती के दुर्गा अवतार को समर्पित है इसमें देवी पार्वती के द्वारा महिषासुर नामक राक्षस का मर्दन करने के कारण उनकी स्तुति की गयी है| यह का 21 श्लोको का संग्रह है जिसमे देवी दुर्गा ने जिन असुरो को मारा था उनका वर्णन है| इसकी रचना आदिगुरू शंकराचार्यजी ने की थी | महिषासुर को वरदान मिला था कि देवता और दानवो में उसे कोई पराजित नही कर सकता था उसने देवतओं के साथ युद्ध में देवताओ के साथ साथ त्रिदेवो को भी पराजित कर दिया था| तब सभी देवतओं और त्रिदेवो ने मिलकर एक ऐसी स्त्री का निर्माण किया जो अत्यंत शक्तिशाली हो और जिसमे सभी देवतओं की शक्तिया समाहित हो इस तरह दुर्गा का जन्म हुआ| देवी दुर्गा अपनी दस भुजाओ में सभी देवो के दिए अस्त्र लिए हुए है जिसमे भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र, शिवजी का त्रिशूल, ब्रह्माजी का कमल इंद्र का वज्र आदि शामिल है | देवी दुर्गा ऐसी शक्तिशाली स्त्री है जिसमे सभी भगवानो के तेज और शक्तियों को सहन करने की ताकत है जो किसी भी असुर को धराशायी कर सकती है | महिषासुर  मर्दिनी का नियमित वाच

चन्द्रशेखर अष्टकम हिंदी अर्थ सहित/ मार्कंडेय रचित/ Chandershekhar Stotr/ शिव मंत्र

  चन्द्रशेखर अष्टकम हिंदी अर्थ सहित/ मार्कंडेय रचित/ C handershekhar  S totr चन्द्रशेखर अष्टक की रचना मार्कंडेय ऋषि द्वारा महर्षि मृकण्डु को जब संतान की प्राप्ति नही हुई तब उन्होंने भगवान शिवजी की कृपा प्राप्त करने के लिए तपस्या की | ऋषि की कठोर तपस्या से शिवजी प्रसन्न हो गये और उनको वर मांगने के लिए कहा| ऋषि ने सन्तान प्राप्ति का वरदान माँगा तो भगवान शिव ने उसको कहा कि तुम्हारे भाग्य में संतान का सुख नही परन्तु मे तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न होकर तुम्हारी ये इच्छा पूरी करता हू लेकिन तुम्हरे पास दो विकल्प है जिनमे से एक पुत्र ऐसा होगा जो ज्ञानी तो होगा परन्तु उसकी आयु केवल 16 वर्ष ही होगी या फिर एक ऐसा पुत्र होगा जो दीर्घायु होगा मगर कम ज्ञानी होगा| ऋषि मृकण्डु ने अल्पायु किन्तु ज्ञानवान पुत्र का चयन किया| थोड़े समय के बाद ऋषि को एक पुत्र की प्राप्ति हुई जिसका नाम उन्होंने मार्कंडेय रखा | मार्कंडेय ने कम उम्र उम्र में सभी प्रकार के वेदों का ज्ञान प्राप्त कर लिया और शिव का बहुत बड़ा उपासक बन गया | जैसे ही वह बालक 16 साल का हुआ उसके मा बाप चिंतित हो गये और रोने लगे की अब उनके

1000 Names of Lord Shiv / शिव सहस्त्रनाम / भगवान शिव के 1000 नाम

1000 Names of Lord Shiv / शिव सहस्त्रनाम / भगवान शिव के 1000 नाम हिंदी अर्थ सहित   भगवान शिव के 1000 नामों का वर्णन बहुत से हिंदू पुराणों में मिलता है जिसमे महाभारत के 13वे अनुसासन  पर्व के 17वे अध्याय को मुख्य माना जाता है| शिव सहस्त्रनाम का वर्णन अन्य पुराण जैसे- लिंग पुराण, शिव पुराण, वायु पुराण, ब्रह्मा पुराण, महाभागवत उपपुराण में मिलता है| भगवान शिव के 1000 नाम हिंदी अर्थ सहित     सूत उवाच श्रूयतां भो ऋषिश्रेष्ठा येन तुष्टो महेश्वरः। तदहं कथयाम्यद्य शैवं नामसहस्रकम्॥1॥ सूतजी बोले – मुनिवरो! सुनो , जिससे महेश्वर संतुष्ट होते हैं , वह शिवसहस्रनाम स्तोत्र आज तुम सबको सुना रहा हूँ|   विष्णुरुवाच शिवो हरो मृडो रुद्रः पुष्करः पुष्पलोचनः। अर्थिगम्यः सदाचारः शर्वः शम्भुर्महेश्वरः॥2॥ भगवान् विष्णुने कहा- अर्थ:- कल्याणस्वरूप , भक्तों के पाप-ताप हर लेनेवाले , सुखदाता , दुःख दूर करनेवाले , आकाशस्वरूप , पुष्प के समान खिले हुए नेत्रवाले , प्रार्थियों को प्राप्त होनेवाले , श्रेष्ठ आचरणवाले , संहारकारी , कल्याणनिकेतन , महान् ईश्वर|   चन्द्रापीड-श

श्री हरि विष्णु स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित / जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं

  श्री हरि विष्णु स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित / जगज्जालपालं चलत्कण्ठमालं   जगत के पालनहार भगवान श्री हरि विष्णु को समर्पित इस स्तोत्र की रचना श्री आचार्य ब्रह्मानंद के द्वारा की गई है। इस स्तोत्र को भगवान श्री हरि   विष्णु की उपासना के लिए सबसे शक्तिशाली मंत्र कहा गया है। श्री हरि स्तोत्र के नियमित पाठ करने से भगवान विष्णु के साथ माता लक्ष्मी का भी आशीर्वाद मिल जाता है। श्री हरि स्त्रोत भगवान विष्णु के बारे में बताता है , उनके आकार , प्रकार , उनके स्वरूप , उनके पालक गुण और रक्षात्मक रूप को सामने रखता है| भगवान हरि का यह अष्टक जो कि मुरारी के कंठ की माला के समान है , जो भी इसे सच्चे मन से पढ़ता है वह वैकुण्ठ लोक को प्राप्त होता है। वह दुख , शोक , जन्म-मरण के बंधन से मुक्त हो जाता है। Also Read: Vishnu shastranam / विष्णु 1000 नामावली  श्री हरि स्तोत्र हिंदी अर्थ सहित   जगज्जाल-पालं चलत्कण्ठ-मालं, शरच्चन्द्र-भालं महादैत्य-कालं | नभो-नीलकायं दुरावार-मायं, सुपद्मा-सहायम् भजेऽहं भजेऽहं ||1|| अर्थ:   जो समस्त जगत के रक्षक हैं , जो गले में चमकता हार पहने हुए है , जिनका

विष्णु सहस्त्रनाम 1000 नाम Lord Vishnu 1000 Names with Hindi meaning thrusday vishnu mantr

  विष्णु सहस्त्रनाम मंत्र 1000 names of Lord Vishnu  विष्णु सहस्त्रनाम में विष्णु भगवान के 1000 नामो का वर्णन है इसके अंदर 108 श्लोक है| इसकी रचना महर्षि वेदव्यास जी ने की थी | इसका रोज जाप करने से खासकर वीरवार को इसका जाप करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है | यह हिंदू धर्म के सबसे प्रचलित और शुभ श्लोको में से है | इसका वर्णन महाभारत के अनुसासन पर्व में मिलता है जब बाणों की शैया पर लेते भीष्म से मिलने युधिस्ठिर आते है तब भीष्म उनको धर्म का नीति का ज्ञान देते हुए इसकी महिमा का वर्णन करते है| ज्योतिष में विष्णु सहस्त्रनाम के जाप के लाभ हमारे अन्तरिक्ष में बहुत से तारे, गृह(नवग्रह) और   27 नक्षत्रो का समूह है| इनमे से कुछ तो घूमते है और कुछ अपनी जगह पर स्थिर रहते  है| जब भी कोई बच्चा जन्म लेता है उस समय उन ग्रहों और तारो की आकाश में कता  स्थिति थी उसी के आधार उस बच्चे की कुंडली बनती है| जैसे जैसे इन ग्रहों का जगह  बदलती है जिसे गोचर कहते है व्यक्ति के जीवन में अलग अलग बदलाव आते है जिसका  अनुमान ज्योतिषी लगाते है| ज्योतिषी में भी विष्णु सहस्त्रनाम के जाप का  बहुत अधिक महत्व है | अन्त